कुछ

सोचता हूँ मैं कुछ, कुछ कहता हूँ,
कहकर कुछ, मैं कुछ करता हूँ ।
कुछ करते करते, कुछ उलझता हूँ,
कहे कोई कुछ, कुछ नहीं समझता हूँ।।

कुछ करते करते, क्या कुछ कर पाऊँगा,
पता नहीं कुछ, कब कुछ डर जाऊँगा।
डर कर कुछ, कुछ-कुछ डगमगाऊँगा,
हो गा क्या कुछ, कुछ और डगर जाऊँगा।।

कुछ सोचते सोचते नव-डगर पर कुछ चलेंगे,
कुछ दूर चलने पर, फिर साथी कुछ मिलेंगे ।
कुछ रहेंगे संग से खुश, कुछ, कुछ जलेंगे,
गर गिरा देंगे कुछ, गले लगा कुछ कष्ट हरेंगे ।।

कुहरा है कुछ डगर पर,पहरा है कुछ हर पहर पर,
भरोसा कुछ सफ़र पर, कुछ, कुछ हमसफ़र पर।
पर नहीं पता कुछ, कुछ मिलेगा इस डगर पर,
क्या सोचें कुछ, है समय कुछ इस सफ़र पर।।

Share this

Leave a Comment

error: Content is protected !!