कुत्ता और गधा

(एक लालच और विश्वासघात की कहानी)

एक शांत गाँव में, रामू नाम का एक धोबी रहता था। उसके पास भोलू नाम का एक वफादार गधा था। हर दिन रामू भोलू पर कपड़ों की भारी गठरियाँ लादता, और भोलू बिना किसी शिकायत के उन्हें नदी तक पहुँचाता। दिनभर की मेहनत के बाद, रामू भोलू को भरपेट खाना देता और उसकी अच्छे से देखभाल करता। इसके बदले में भोलू अपने मालिक का वफादार बना रहता।

एक रात, जब भोलू आराम कर रहा था, एक भूखा और दुबला-पतला आवारा कुत्ता उसके पास आया।

कुत्ता: “भाई, क्या तुम्हें दिनभर काम करके थकान नहीं होती? इतने भारी कपड़े ढोना बहुत मुश्किल होता होगा।”
गधा (भोलू): “हां, थकता तो हूं, लेकिन मैं आदत डाल चुका हूं। मुझे खाना, रहने की जगह और बीमार होने पर देखभाल मिलती है। यही तो असली जिंदगी है। और तुम? तुम्हारी जिंदगी कैसी है?”

कुत्ते ने एक लंबी सांस ली और उसकी आँखों में दुख छलक आया।

कुत्ता: “बहुत खराब। मैं हमेशा भूखा रहता हूं। लोग मुझे लाठियों से भगाते हैं। न घर है, न कोई देखभाल करने वाला।”

भोलू को कुत्ते पर दया आ गई।

कुत्ता: “भाई, कृपया अपने मालिक से बात करो। उनसे कहो कि मुझे अपने घर में रख लें। मैं कोई भी काम करने को तैयार हूं!”

काफी मिन्नतों के बाद, भोलू ने मदद का वादा किया। अगली सुबह उसने रामू से बात की।

गधा: “मालिक, एक आवारा कुत्ता है जो खाना और रहने की जगह के बदले कोई भी काम करने को तैयार है। क्या आप उसे मौका देंगे?”

पहले तो रामू ने मना कर दिया।
रामू: “कुत्ता? वह क्या करेगा? वह तुम्हारी तरह कपड़े नहीं ढो सकता।”

लेकिन भोलू के बार-बार कहने पर रामू मान गया।

पहले दिन कुत्ते ने कपड़ों का बोझ उठाने की कोशिश की, लेकिन वह लड़खड़ा गया। उसके पंजे दर्द से अकड़ गए और वह थककर चूर हो गया। तीसरे दिन वह काम करते-करते गिर पड़ा।

कुत्ता: “मालिक, अगर आपने मुझे आज काम पर लगाया तो मैं मर जाऊंगा।”

रामू ने गहरी सांस ली।
रामू: “तुम इस काम के लायक नहीं हो। लेकिन मैं तुम्हें भगा नहीं रहा। तुम रात में घर की रखवाली कर सकते हो।”

कुत्ता राहत महसूस कर के राजी हो गया। लेकिन उसकी आलसी आदतें जल्द ही उभर आईं। एक रात, जब चोर रामू के घर में घुसे, तो कुत्ता गहरी नींद में खर्राटे ले रहा था।

अगली सुबह रामू ने चोरी का पता लगाया और गुस्से में कुत्ते को डांटते हुए कहा,
रामू: “तुम्हें घर की रखवाली करनी थी, लेकिन तुमने चोरों को लूटने दिया! तुम किसी काम के नहीं हो!”

कुत्ते की माफी के बावजूद, रामू ने उसे डंडे से मारकर भगा दिया।
रामू: “भाग जाओ! और कभी वापस मत आना!”

चोटिल और निराश कुत्ता गाँव में भटकने लगा। उसी रात, उसकी मुलाकात दो संदिग्ध आदमियों से हुई।

चोर 1: “अरे, क्या यह धोबी का कुत्ता नहीं है?”
चोर 2: “शायद। बेघर हो गए हो क्या?”
कुत्ते ने सिर हिलाया।
कुत्ता: “मैंने वफादार बनने की कोशिश की, लेकिन यह काफी नहीं था। अब मेरे पास कोई घर नहीं है।”

चोरों ने चालाकी से मुस्कराते हुए कहा,
चोर 1: “शायद तुम हमारे काम आ सकते हो।”
कुत्ता: “कैसे?”
चोर 2: “हमें धोबी के भाई सोहन का घर लूटना है। वहां बहुत सोना, पैसा और कीमती सामान है। हमें अंदर से खबर देने वाला चाहिए।”

कुत्ते ने झिझकते हुए पूछा,
कुत्ता: “और मुझे बदले में क्या मिलेगा?”
चोर 1: “खाना, घर, और भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”

मजबूर होकर, कुत्ता मान गया।

कुछ हफ्तों बाद, सोहन और रामू को एक समारोह के लिए गाँव से बाहर जाना पड़ा। पूरा घर खाली था।

कुत्ता चोरों के पास पहुँचा।
कुत्ता: “सोहन और उसका परिवार बाहर गए हैं। घर खाली है। यही सही मौका है।”

चोर खुश हो गए।
चोर 1: “शाबाश। चलो चलते हैं।”

उस रात, चोर सोहन के घर के पास पहुँचे। जैसे ही उन्होंने ताला तोड़ने की कोशिश की, अचानक एक जोरदार आवाज गूंज उठी।
भोलू: “चोर! चोर! सोहन के घर में चोर घुस आए हैं!”

भोलू की आवाज पूरे गाँव में गूंज गई। गाँववाले लाठियाँ और मशालें लेकर बाहर आ गए।

पड़ोसी: “क्या हुआ?”
भोलू: “चोर हैं! उन्हें पकड़ो!”

गाँववालों ने चोरों को चारों ओर से घेर लिया। चोर भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन वे पकड़े गए।

अगली सुबह गाँववालों ने कुत्ते को भी पकड़ा और रामू के पास ले गए।

रामू: “तुमने मुझे धोखा दिया?”
कुत्ता: “मैं मजबूर था! आपने मुझे भगा दिया। मेरे पास कोई और चारा नहीं था।”

रामू: “हर बार एक चारा होता है। तुमने लालच और विश्वासघात चुना।”

गाँववाले भी सहमत हुए।
पड़ोसी: “यह कुत्ता वफादार नहीं है। यह खतरनाक है। यह अपने फायदे के लिए किसी को भी धोखा दे सकता है।”

गाँव ने फैसला किया कि कुत्ते को हमेशा के लिए बाहर कर दिया जाए। कुत्ते ने जाते-जाते भोलू की ओर देखा।

कुत्ता: “भाई, मैं तो बस एक अच्छी जिंदगी चाहता था।”
भोलू: “अच्छी जिंदगी विश्वासघात से नहीं मिलती। लालच सिर्फ बर्बादी लाता है।”

कुत्ता शर्मिंदा होकर सिर झुका लिया और हमेशा के लिए गाँव छोड़कर चला गया।

कहानी से सीख:
लालच और विश्वासघात से भले ही थोड़े समय के लिए लाभ हो, लेकिन यह अंततः बर्बादी लाता है। सच्चा सुख वफादारी, ईमानदारी और मेहनत से ही मिलता है।

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