घने जंगल राज्य में, जहाँ ऊँचे-ऊँचे पेड़ हवा से बातें करते और नदियाँ मीठे गीत गातीं, वहाँ कुछ शातिर भेड़िए कई महीनों से आतंक मचा रहे थे। वे जंगल के जानवरों का भोजन, कीमती सामान और सोते हुए छोटे बच्चों को चुरा ले जाते थे। कोई भी उन्हें पकड़ नहीं पा रहा था, और जंगल में डर का माहौल बन गया था।

आखिरकार, जंगल के कुछ जानवर मिलकर अपने राजा शेरसिंह राज (शेर) के पास पहुँचे। उन्होंने अपनी परेशानी सुनाई। सिंह राज गरजते हुए बोले, “अब बहुत हो गया! कमांडर भालू (बलवान भालू) को इन भेड़ियों को पकड़ने का आदेश दिया जाता है!”

कमांडर भालू, जो ताकतवर और ईमानदार थे, इस जिम्मेदारी को गर्व से निभाने निकले। उन्होंने अपनी टीम बनाई और भेड़ियों को पकड़ने की योजना बनाई।
एक रात, कमांडर भालू और उनकी टीम भेड़ियों की गुफा के पास छुप गए। वे चुपचाप इंतजार करने लगे। जल्द ही, उन्होंने कुछ काली परछाइयाँ देखीं—भेड़िए चोरी करने आ रहे थे! उनके नेता, धूर्त भेड़िया फेंग, बहुत तेज और चालाक था।
जैसे ही भेड़ियों ने अनाज के थैले उठाने शुरू किए, भालू और उनकी टीम झाड़ियों से बाहर कूदे। “अब तुम बच नहीं सकते, चोरों!” भालू गरजे। लेकिन भेड़िए तेज़ थे। वे पेड़ों के बीच से फुर्ती से भाग निकले, उछलते-कूदते जंगल में गायब हो गए।

कमांडर भालू बहुत निराश हुए। “वे बहुत तेज और चालाक हैं, राजा जी। मैं उन्हें नहीं पकड़ सका,” उन्होंने दुखी होकर कहा।
जब जंगल के कुछ जानवरों ने भालू की हार की खबर सुनी, तो वे बूढ़े उल्लू (बाबा उल्लू) के पास पहुँचे। बाबा उल्लू जंगल में अपनी बुद्धिमानी और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे।
बाबा उल्लू ने ध्यान से सब सुना और मुस्कुराए। “भेड़ियों को दौड़ाकर नहीं, बल्कि दिमाग लगाकर हराना होगा!” उन्होंने कहा।
उन्होंने भालू को बुलवाया और एक चतुर योजना बताई।

“बंदर मोंटी की गुफा के सामने एक गहरा गड्ढा खोदो,” उल्लू ने कहा। “फिर जंगल में यह अफवाह फैला दो कि सोमवार की रात मोंटी जंगल के छोटे बच्चों को ‘जीवन के बड़े सबक’ सिखाने वाला है और उसके बाद एक शानदार भोज होने वाला है!”
जानवरों ने चौंककर पूछा, “लेकिन इससे क्या होगा?”
बूढ़े उल्लू ने आँखें चमकाईं। “भेड़िए समझेंगे कि यह बच्चों को चुराने का सबसे अच्छा मौका है। वे आएंगे और गुफा में घुसने की कोशिश करेंगे, लेकिन गड्ढे में गिरकर फँस जाएंगे!”
सबने उल्लू की योजना को मंजूर किया।
कमांडर भालू के नेतृत्व में जंगल के जानवरों ने एक बहुत गहरा गड्ढा खोदा। उन्होंने उसे पत्तों और टहनियों से ढक दिया, ताकि वह नजर न आए। दूसरी ओर, अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई।

जैसा कि उम्मीद थी, भेड़ियों को भी इस भोज की खबर मिल गई। उनके मुँह में पानी आ गया। “सोमवार की रात हमारी होगी!” फेंग ने हँसते हुए कहा।
सोमवार की रात, भेड़िए चुपचाप बंदर मोंटी की गुफा की ओर बढ़े। लेकिन जैसे ही उन्होंने आगे कदम रखा—धड़ाम!
वे एक-एक करके गहरे गड्ढे में गिर गए! वे बुरी तरह फँस चुके थे। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, भालू और उनकी टीम गड्ढे के चारों ओर खड़े हो गए।
“अब तुम भाग नहीं सकते, चोरों!” भालू गरजा।

अगली सुबह, राजा शेर सिंह भेड़ियों को कठोर सजा सुनाई। “तुमने जंगल को बहुत नुकसान पहुँचाया है। अब तुम जंगल के विकास में मदद करोगे—घर बनाओगे, खाना जुटाओगे और जंगल को साफ रखोगे!”
धीरे-धीरे, भेड़ियों का व्यवहार बदल गया। वे मेहनत करने लगे और जंगल के अच्छे नागरिक बन गए।
जंगल के सभी जानवर बहुत खुश हुए। बुद्धिमत्ता और एकता ने बुराई को हरा दिया!
“स्मार्ट सोचो, बहादुर बनो, और हमेशा मिलकर काम करो!” यह सबक जंगल के बच्चों को भी मिला।
और इस तरह, जंगल में फिर से शांति लौट आई।
समाप्त!