कुछ

कविता सुनने के लिए क्लिक करें सोचता हूँ मैं कुछ, कुछ कहता हूँ,कहकर कुछ, मैं कुछ करता हूँ ।कुछ करते करते, कुछ उलझता हूँ,कहे कोई कुछ, कुछ नहीं समझता हूँ।। कुछ करते करते, क्या कुछ कर पाऊँगा,पता नहीं कुछ, कब कुछ डर जाऊँगा।डर कर कुछ, कुछ-कुछ डगमगाऊँगा,हो गा क्या कुछ, कुछ और डगर जाऊँगा।। कुछ … Read more

“O! My Little Doll”

O! My little-little doll,Let’s go for a stroll.You can rock, I can roll,Laugh out loud, lol lol lol! We’ll dance in the sun,We’ll sing and play with fun.If rain comes, we’ll still not run,We’ll splash — chhun chhun chhun! We are bored in the room,Let’s go boom boom boom.In the garden, flowers bloom,Butterflies go zoom … Read more

आँखों पर पट्टी

Read in English   आँखों पर पट्टी खुद से बांध डाला, फ़िर निकला घर से सब भूला-भाला। मैं चकित, क्यों है सब काला-काला, कहाँ रह गया सूरज? कहाँ है उजाला?   गर है अभी रात, तो ये शोरगुल कैसा? कौन है जो चीखा, चिल्ला रहा भूतों जैसा। खो गया उन गलियों में और डरा मैं … Read more

असली

  रोज़ रोज़ की हबड़-तबड़ में, सब कुछ पाने की भगदड़ में । हरदम खोया-खोया लगता हूँ, खुदगर्जी के नशे में सोया लगता हूँ ।।   कभी इनके, कभी उनके बहकावे में, झूठी शान और फर्जी दिखावे में । रहता मशगूल, खूब काम करता हूँ, ऐसे ही जिंदगी अपनी तमाम करता हूँ ।।   कभी … Read more

पत्ते

पत्ते
***
धूप में जलते सूखते पत्ते,
सूखकर, टहनियों से टूटते पत्ते ।
टूटकर गिरते बिखरते पत्ते,
जीवन से फिर भी नहीं रूठते पत्ते ।।

गिरकर मेघों को तकते पत्ते,
वर्षा-जल में भीगते गलते पत्ते ।
गल-गलकर मिट्टी में मिलते पत्ते,
जीवन को कभी नहीं छलते पत्ते ||

मिट्टी-पानी से जब सनते पत्ते,
सन-सनकर खाद बनते पत्ते ।
गिरते बीजों को तब जनते पत्ते,
नव-पादप कि बुनियाद बनते पत्ते ।।

हरदम जीते, नहीं कभी मरते पत्ते,
बीज, टहनी, फलों में उतरते पत्ते ।
सृष्टि रचते, सृष्टा को भजते पत्ते,
स्वयं अमर सबको अमर करते पत्ते ।।
-विजय शुक्ल

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