कुछ
कविता सुनने के लिए क्लिक करें सोचता हूँ मैं कुछ, कुछ कहता हूँ,कहकर कुछ, मैं कुछ करता हूँ ।कुछ करते करते, कुछ उलझता हूँ,कहे कोई कुछ, कुछ नहीं समझता हूँ।। कुछ करते करते, क्या कुछ कर पाऊँगा,पता नहीं कुछ, कब कुछ डर जाऊँगा।डर कर कुछ, कुछ-कुछ डगमगाऊँगा,हो गा क्या कुछ, कुछ और डगर जाऊँगा।। कुछ … Read more