भाग्य-उद्धारक
अंग्रेजी में पढ़ें एक नदी बहुत दिनों से खोई थी, कुछ पत्थरों, कंकड़ों पर सोई थी । फल की आशा भी नहीं कोई थी, क्योंकि याद नहीं बीज क्या बोई थी ॥ तभी सूरज ने धरा को और तपाया, जल-श्रोत सुखाए, बूंद-बूंद को तड़पाया । सूर्य-रश्मियों ने पवन को भड़काया, जल-जल कर पेड़ों … Read more