रोज़ रोज़ की हबड़-तबड़ में, सब कुछ पाने की भगदड़ में । हरदम खोया-खोया लगता हूँ, खुदगर्जी के नशे में सोया लगता हूँ ।। कभी इनके, कभी उनके बहकावे में, झूठी शान और फर्जी दिखावे में । रहता मशगूल, खूब काम करता हूँ, ऐसे ही जिंदगी अपनी तमाम करता हूँ ।। कभी … Read more