कुंभ में भगदड़

संवारने कल, कुछ सुधारने आज,दूर-दूर से आए सब प्रयागराज ।कुछ भक्तों पर फिर क्यों गिरी गाज,क्यों दंड उनको जो करते प्रभु-काज।। कहीं पुत्र बिछड़ा, कहीं पिता खोया,कहीं हँसता जोड़ा, वियोग में रोया ।क्या इतना मलिन पाप, जो न गया धोया,क्यों टूटा सपना जो वर्षों से संजोया।। होंगे लुढ़के कुछ,कोई गिरा होगा बिचारा,भर-भर के आँसू, सबने … Read more

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